
मदर्स डे के अवसर पर पेश है गरियाबंद जिले के अमलीपदर की एक संघर्षशील मां की कहानी
May 11, 2025
1. पति और बेटे को खोने के बावजूद नहीं मानी हार, साइकिल पर व्यापार कर चला रही है परिवार।
2. उड़ीसा तक जाकर करती है व्यापार, महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा।
गरियाबंद। मदर्स डे के खास मौके पर हम आपको मिलवाने जा रहे हैं गरियाबंद जिले के अमलीपदर की एक ऐसी मां से, जिसने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी। अपने पति और एक बेटे को खोने के बाद इस मां ने खुद पर आये दुखों के पहाड़ को अपनी मेहनत और लगन से हराया और अपने परिवार को सहारा दिया।
तस्वीरों में नजर आ रही यह महिला हैं सावित्री नेताम। कई साल पहले इनके पति का देहांत हो गया। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को भी खो दिया। एक के बाद एक दुखों के पहाड़ टूटते गए, लेकिन इस मां ने हार नहीं मानी।
सावित्री नेताम ने साइकिल खरीदी और उस पर मसाले, धनिया, मिर्चा, चूड़ी, टिकली और बांस का बर्तन रखकर घर-घर जाकर बेचने का काम शुरू किया। वह उड़ीसा तक जाती है और हर बाजार के दिन बाजार-बाजार घूमकर अपने सामान को बेचती है ।
इस संघर्षशील मां का एक बेटा दूसरे राज्य में काम करने गया है। लेकिन वह मां, जो खुद मेहनत-मजदूरी कर अपना घर चला रही है, अपने बेटे को भी अपनी कमाई से पैसे भेजती है। घर में एक ननंद भी है जिसका देखभाल की जिम्मेदारी भी उसकी है । बिना प्रधानमंत्री आवास के रह रही एक झुग्गी झोपड़ी में अपने सारे जिंदगी बिता कर ईमानदारी से काम करने वाली इस महिला को पूरी क्षेत्रवासी एक संघर्षशील महिला के रूप में जानतो है ।
यह कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार मानने के बजाय मेहनत और ईमानदारी से अपने परिवार को सहारा दे रही हैं। और दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनने के साथ-साथ दूसरों को भी इमानदारी पूर्वक मेहनत कर अपने परिवार में भागीदारी करने का सलाह भी देती है ।
तो यह थी अमलीपदर की वह मां, जिसने अपनी मेहनत और हौसले से एक मिसाल कायम की है। मदर्स डे के इस मौके पर हम सलाम करते हैं ऐसी सभी मांओं को, जो न सिर्फ अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं, बल्कि उन्हें एक बेहतर भविष्य देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं।
2. उड़ीसा तक जाकर करती है व्यापार, महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा।
गरियाबंद। मदर्स डे के खास मौके पर हम आपको मिलवाने जा रहे हैं गरियाबंद जिले के अमलीपदर की एक ऐसी मां से, जिसने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी। अपने पति और एक बेटे को खोने के बाद इस मां ने खुद पर आये दुखों के पहाड़ को अपनी मेहनत और लगन से हराया और अपने परिवार को सहारा दिया।
तस्वीरों में नजर आ रही यह महिला हैं सावित्री नेताम। कई साल पहले इनके पति का देहांत हो गया। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को भी खो दिया। एक के बाद एक दुखों के पहाड़ टूटते गए, लेकिन इस मां ने हार नहीं मानी।
सावित्री नेताम ने साइकिल खरीदी और उस पर मसाले, धनिया, मिर्चा, चूड़ी, टिकली और बांस का बर्तन रखकर घर-घर जाकर बेचने का काम शुरू किया। वह उड़ीसा तक जाती है और हर बाजार के दिन बाजार-बाजार घूमकर अपने सामान को बेचती है ।
इस संघर्षशील मां का एक बेटा दूसरे राज्य में काम करने गया है। लेकिन वह मां, जो खुद मेहनत-मजदूरी कर अपना घर चला रही है, अपने बेटे को भी अपनी कमाई से पैसे भेजती है। घर में एक ननंद भी है जिसका देखभाल की जिम्मेदारी भी उसकी है । बिना प्रधानमंत्री आवास के रह रही एक झुग्गी झोपड़ी में अपने सारे जिंदगी बिता कर ईमानदारी से काम करने वाली इस महिला को पूरी क्षेत्रवासी एक संघर्षशील महिला के रूप में जानतो है ।
यह कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार मानने के बजाय मेहनत और ईमानदारी से अपने परिवार को सहारा दे रही हैं। और दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनने के साथ-साथ दूसरों को भी इमानदारी पूर्वक मेहनत कर अपने परिवार में भागीदारी करने का सलाह भी देती है ।
तो यह थी अमलीपदर की वह मां, जिसने अपनी मेहनत और हौसले से एक मिसाल कायम की है। मदर्स डे के इस मौके पर हम सलाम करते हैं ऐसी सभी मांओं को, जो न सिर्फ अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं, बल्कि उन्हें एक बेहतर भविष्य देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं।