
नान घोटाला में CBI ने पूर्व IAS टुटेजा सहित 3 सीनियर अफसरों पर दर्ज किया FIR , दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ का आरोप
April 19, 2025
रायपुर । पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की मुश्किले कम होती नजर नही आ रही है। छत्तीसगढ़ में हुए नान घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने तीन सीनियर अफसरों के खिलाफ केस दर्ज किया है। ये अफसर तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार में बड़े पदों पर पदस्थ थे। इनमें तत्कालीन प्रधान सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा शामिल हैं। दावा किया जा रहा है कि इन अफसरों ने दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर जांच को प्रभावित किया है।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही सीबीआई की टीम ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के ठिकानों के साथ ही अलग-अलग स्थानों पर छापामार कार्रवाई की थी। तलाशी के दौरान सीबीआई ने कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये हैं। जिनकी जांच की जा रही है। सीबीआई ने इस मामले में EOW में दर्ज FIR पर नये सिरे से जांच शुरू कर दी हैं। सीबीआई ने अब तक की जांच के बाद ये दावा किया जा रहा है कि इन अफसरों ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए नागरिक आपूर्ति निगम मामले में ईडी और EOW की कार्रवाई को प्रभावित करने की कोशिश की।
आरोपों के मुताबिक आयकर विभाग की तरफ से जब्त डिजिटल सबूत से पता चला है कि आरोपियों ने मामले की जांच को कमजोर करने के लिए लगातार कोशिश की। सीबीआई की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आये है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्रयास किए गए। आरोप है कि पूर्ववर्ती सरकार में अहम पदों पर रहे इन अफसरों ने न केवल खुद के लिए अग्रिम जमानत बनवाने की कोशिश की, बल्कि राज्य आर्थिक अपराध शाखा में तैनात अधिकारियों को डॉक्यूमेंट में हेरफेर करने के लिए भी राजी किया। इन सारे खुलासे के बाद अब दावा किया जा रहा है कि सीबीआई की इस जांच में इस मामले में और भी नाम जुड़ सकते हैं।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही सीबीआई की टीम ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के ठिकानों के साथ ही अलग-अलग स्थानों पर छापामार कार्रवाई की थी। तलाशी के दौरान सीबीआई ने कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये हैं। जिनकी जांच की जा रही है। सीबीआई ने इस मामले में EOW में दर्ज FIR पर नये सिरे से जांच शुरू कर दी हैं। सीबीआई ने अब तक की जांच के बाद ये दावा किया जा रहा है कि इन अफसरों ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए नागरिक आपूर्ति निगम मामले में ईडी और EOW की कार्रवाई को प्रभावित करने की कोशिश की।
आरोपों के मुताबिक आयकर विभाग की तरफ से जब्त डिजिटल सबूत से पता चला है कि आरोपियों ने मामले की जांच को कमजोर करने के लिए लगातार कोशिश की। सीबीआई की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आये है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए प्रयास किए गए। आरोप है कि पूर्ववर्ती सरकार में अहम पदों पर रहे इन अफसरों ने न केवल खुद के लिए अग्रिम जमानत बनवाने की कोशिश की, बल्कि राज्य आर्थिक अपराध शाखा में तैनात अधिकारियों को डॉक्यूमेंट में हेरफेर करने के लिए भी राजी किया। इन सारे खुलासे के बाद अब दावा किया जा रहा है कि सीबीआई की इस जांच में इस मामले में और भी नाम जुड़ सकते हैं।