हाईकोर्ट ने संविदाकर्मियों को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, अब दिया जायेगा मातृत्व अवकाश भी वेतन, हाईकोर्ट ने कहा

हाईकोर्ट ने संविदाकर्मियों को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, अब दिया जायेगा मातृत्व अवकाश भी वेतन, हाईकोर्ट ने कहा

April 13, 2025 0 By Ajeet Yadav
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के लिए एक बड़ा फैसला सुनाया है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ संविदा पर नियुक्त होने के आधार पर किसी महिला को मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस निर्णय को महिला अधिकारों और शिशु की गरिमा से जुड़ा संवैधानिक विषय बताते हुए राज्य प्रशासन को याचिकाकर्ता को वेतन देने के निर्देश दिए हैं।

यह मामला जिला अस्पताल कबीरधाम में संविदा पर कार्यरत स्टाफ नर्स राखी वर्मा से जुड़ा है, जिन्होंने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था, जो अस्पताल प्रशासन द्वारा स्वीकृत भी किया गया था। उन्होंने 21 जनवरी 2024 को एक कन्या को जन्म दिया और निर्धारित अवधि पूर्ण कर 14 जुलाई 2024 को पुनः ड्यूटी ज्वाइन कर ली। लेकिन इसके बावजूद, उन्हें मातृत्व अवकाश अवधि का वेतन नहीं दिया गया, जिससे उन्हें व उनके नवजात को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।

राखी वर्मा ने 25 फरवरी 2025 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को वेतन के लिए आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रीकांत कौशिक ने अदालत में तर्क रखते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के नियम 38 के तहत मातृत्व अवकाश एक विधिक अधिकार है, जो स्थायी और संविदा दोनों कर्मचारियों पर समान रूप से लागू होता है।

उन्होंने इससे संबंधित पूर्ववर्ती न्यायिक निर्णयों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि संविदा कर्मचारियों को मातृत्व लाभ से वंचित करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत समानता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन भी है। इससे स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों के बीच अनुचित भेदभाव पैदा होता है।

हाईकोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए कहा कि मातृत्व और नवजात शिशु की गरिमा का अधिकार पूर्ण रूप से संवैधानिक संरक्षण में आता है, और यह अधिकार प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की वेतन संबंधी मांग पर नियमानुसार तीन माह के भीतर निर्णय लिया जाए।

कोर्ट ने आदेश दिया कि केवल संविदा कर्मचारी होने के आधार पर मातृत्व अवकाश का वेतन देने से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने स्टाफ नर्स को अवकाश अवधि का वेतन देने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने कहा कि मातृत्व और शिशु की गरिमा के अधिकार को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। इसे प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा मातृत्व अवकाश वेतन की मांग पर नियमानुसार तीन माह के भीतर निर्णय लिया जाए।

यह फैसला न केवल याचिकाकर्ता के लिए राहतदायक है, बल्कि राज्य भर में संविदा पर कार्यरत हजारों महिला कर्मचारियों के लिए एक नजीर बन सकता है, जिससे भविष्य में उन्हें भी मातृत्व के दौरान वेतन और अन्य लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।हाईकोर्ट के इस फैसले को महिला सशक्तिकरण और श्रमिक अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।