
शिक्षकों के समर्थन में सांसद: एक और सांसद ने उठायी छत्तीसगढ़ के शिक्षकों की आवाज, बर्खास्त सहायक शिक्षकों, शिक्षा विभाग में 63000 खाली पद व सीनियरिटी लिस्ट पर कही ये बात
April 13, 2025
बर्खास्त सहायक शिक्षकों के समर्थन में अब एक और सांसद उतर आये हैं। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव, राज्यसभा सांसद और छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी डॉ. संदीप पाठक ने प्रदर्शन कर रहे बर्खास्त शिक्षकों को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने बेरोजगारी और प्रशासनिक अव्यवस्था को लेकर सरकार को घेरा है।
डॉ. पाठक ने कहा कि नगर सैनिकों B.Ed व D.Ed धारक करीब 3,000 युवा अब भी प्रदर्शन कर रहे हैं, जिन्हें पहले नौकरी दी गई लेकिन बाद में उन्हें ‘अनफिट’ घोषित कर दिया गया। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लगभग 17 लाख यानी 16,92,824 बेरोजगार पंजीकृत हैं, जो राज्य की युवाशक्ति की पीड़ा को दर्शाता है।
शिक्षा विभाग में 63,000 पद खाली हैं और लगभग 5,500 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। रायपुर जैसे शहर में भी 27 स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक शिक्षक कार्यरत है, जबकि 610 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं। डॉ. पाठक ने कहा कि पिछले 11 वर्षों से शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तक नहीं निकाली गई है।
बच्चों को 8वीं तक तो ग्रेस से पास किया जा रहा है, और 9वीं के बाद प्राचार्यों पर 90% परिणाम लाने का दबाव होता है – यह पूरी व्यवस्था को मजाक बनाता है।मेडिकल शिक्षा की स्थिति भी दयनीय है। राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों में 642 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं। इसके साथ ही 6 लाख अनियमित कर्मचारी अपनी नौकरी को लेकर असुरक्षित हैं, जिनका न तो EPF कट रहा है और न ही उन्हें स्थायी करने का कोई ठोस प्रस्ताव है।
डॉ. पाठक ने यह भी कहा कि नगर सैनिकों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि डेढ़ साल के शासनकाल में कितने लोगों को रोजगार मिला, इनमें कितने स्थानीय और कितने बाहरी हैं? कितनी स्किल डेवलेपमेंट संस्थाएं खोली गईं और कितनी निजी नौकरियां दी गईं?
डॉ. पाठक ने कहा कि नगर सैनिकों B.Ed व D.Ed धारक करीब 3,000 युवा अब भी प्रदर्शन कर रहे हैं, जिन्हें पहले नौकरी दी गई लेकिन बाद में उन्हें ‘अनफिट’ घोषित कर दिया गया। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लगभग 17 लाख यानी 16,92,824 बेरोजगार पंजीकृत हैं, जो राज्य की युवाशक्ति की पीड़ा को दर्शाता है।
शिक्षा विभाग में 63,000 पद खाली हैं और लगभग 5,500 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। रायपुर जैसे शहर में भी 27 स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक शिक्षक कार्यरत है, जबकि 610 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं। डॉ. पाठक ने कहा कि पिछले 11 वर्षों से शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तक नहीं निकाली गई है।
बच्चों को 8वीं तक तो ग्रेस से पास किया जा रहा है, और 9वीं के बाद प्राचार्यों पर 90% परिणाम लाने का दबाव होता है – यह पूरी व्यवस्था को मजाक बनाता है।मेडिकल शिक्षा की स्थिति भी दयनीय है। राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों में 642 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं। इसके साथ ही 6 लाख अनियमित कर्मचारी अपनी नौकरी को लेकर असुरक्षित हैं, जिनका न तो EPF कट रहा है और न ही उन्हें स्थायी करने का कोई ठोस प्रस्ताव है।
डॉ. पाठक ने यह भी कहा कि नगर सैनिकों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि डेढ़ साल के शासनकाल में कितने लोगों को रोजगार मिला, इनमें कितने स्थानीय और कितने बाहरी हैं? कितनी स्किल डेवलेपमेंट संस्थाएं खोली गईं और कितनी निजी नौकरियां दी गईं?