12 ठिकानों पर ईओडब्लू-एसीबी की छापेमारी, तेंदूपत्ता घोटाले से नक्सल फंडिंग के तार जुड़े होने की आशंका

12 ठिकानों पर ईओडब्लू-एसीबी की छापेमारी, तेंदूपत्ता घोटाले से नक्सल फंडिंग के तार जुड़े होने की आशंका

April 11, 2025 0 By Ajeet Yadav
सुकमा । नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में ईओडब्लू (EOW) और एसीबी (ACB) द्वारा एक साथ 12 ठिकानों पर की गई छापेमारी ने तहलका मचा दिया है। यह कार्रवाई न केवल राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का परिचायक मानी जा रही है, बल्कि इसे नक्सल नेटवर्क पर चोट के रूप में भी देखा जा रहा है।

जानकारी के अनुसार, यह छापेमारी तेंदूपत्ता संग्रहण प्रक्रिया में अनियमितताओं और नक्सल फंडिंग से जुड़े संभावित तारों को लेकर की गई है। ईओडब्लू की ओर से जारी प्रेस नोट के अनुसार, कार्रवाई की जद में सीपीआई नेता मनीष कुंजाम, कोंटा के प्रबंधक मो. शरीफ खान, ुपालाचलमा के सीएच वेंकट, फूलबगड़ी के राजेशेखर पुराणिक, जगरगुंडा के रवि गुप्ता, मिसिगुड़ा के राजेश आयतु, एर्राबोर के महेंद्र सिंह, पेदाबोड़केल के सुनील, और जग्गावरम के मनोज कवासी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।

इनमें से राजेशेखर पुराणिक, जो वन विभाग के डीएफओ दफ्तर में पदस्थ हैं, के निवास से ₹26 लाख 67 हजार नगद बरामद हुए हैं। इसके अलावा, कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं, जिनसे अहम सुराग मिलने की संभावना है।

सूत्रों के अनुसार, माओवादियों की तेंदूपत्ता पर हमेशा से नजर रही है। पहले की रिपोर्ट्स के अनुसार, माओवादी बस्तर से सालाना ₹1500 करोड़ की लेवी वसूलते थे। हालांकि बदले हुए हालात में यह वसूली प्रभावित हुई है, फिर भी तेंदूपत्ता एक प्रमुख फंडिंग स्रोत बना हुआ है। इस बार राज्य सरकार ने संग्रहण की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष विभागीय नियंत्रण में लेने का फैसला किया था, जिससे नेक्सस को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

ईओडब्लू और एसीबी की टीमें अब इस बात की जांच में जुटी हैं कि बरामद नकदी और दस्तावेजों का संबंध नक्सली फंडिंग से है या नहीं। प्राथमिक जांच में कई संकेत ऐसे मिले हैं जो यह दर्शाते हैं कि तेंदूपत्ता के व्यापार में शामिल कुछ लोग माओवादियों को आर्थिक मदद पहुंचा रहे थे।