
हड़ताल का ऐलान, 17 मार्च को विधानसभा घेराव, 18 मार्च से हड़ताल, कमेटी के निर्णय के बावजूद सरकार ने अब तक नहीं
March 15, 2025
छत्तीसगढ़ में एक बार फिर हड़ताल का दौर शुरू होने वाला है। कमेटी के फैसले पर अमल नहीं किये जाने पर छत्तीसगढ़ के 10 हजार से ज्यादा पंचायत सचिव हड़ताल पर जा रहें हैं। अंबिकापुर में एक पत्रकार सम्मेलन में पंचायत सचिव संघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह पैकरा ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत सचिव 17 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे। वहीं 18 मार्च से सचिव जनपद पंचायत में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। उसके बाद 1 अप्रैल को मंत्रालय का घेराव भी ऐलान पंचायत सचिव संघ ने किया है। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों की मांग पर सरकार ने अब तक संज्ञान नहीं लिया है, जिसकी वजह से उन्हें ये कदम उठाना पड़ा है।
पंचायत सचिव लंबे समय से शासकीयकरण की मांग कर रहे हैं। पंचायत के सचिवों का कहना है कि शासन अगर चाहे तो उनके नियमितिकरण में कोई दिक्कत नहीं है। जब दो लाख शिक्षाकर्मियों का संविलियन हो सकता है, तो फिर 10 हजार पंचायत सचिवों का नियमितिकरण करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिये।
उपेंद्र सिंह पैकरा ने कहा कि मोदी की गारंटी में पंचायत सचिवों के शासकीय करण को शामिल किया गया था। पंचायत सचिवों के शासकीयकरण के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर कमेटी बनी थी। कमेटी की रिपोर्ट सौपे जाने के बाद भी अब तक शासकीयकरण नहीं किया गया है। विधानसभा में शासकीय करण को लेकर प्रस्ताव पास नहीं होने से प्रदेश भर के पंचायत सचिव नाराज हैं। उनका कहना है कि बजट में उनके लिए कुछ भी प्रस्ताव नहीं रखा गया। जाहिर है सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है।ऐसे में उनके पास हड़ताल के अलावे और कोई चारा नहीं बचता है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत सचिव 17 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे। वहीं 18 मार्च से सचिव जनपद पंचायत में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। उसके बाद 1 अप्रैल को मंत्रालय का घेराव भी ऐलान पंचायत सचिव संघ ने किया है। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों की मांग पर सरकार ने अब तक संज्ञान नहीं लिया है, जिसकी वजह से उन्हें ये कदम उठाना पड़ा है।
पंचायत सचिव लंबे समय से शासकीयकरण की मांग कर रहे हैं। पंचायत के सचिवों का कहना है कि शासन अगर चाहे तो उनके नियमितिकरण में कोई दिक्कत नहीं है। जब दो लाख शिक्षाकर्मियों का संविलियन हो सकता है, तो फिर 10 हजार पंचायत सचिवों का नियमितिकरण करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिये।
उपेंद्र सिंह पैकरा ने कहा कि मोदी की गारंटी में पंचायत सचिवों के शासकीय करण को शामिल किया गया था। पंचायत सचिवों के शासकीयकरण के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर कमेटी बनी थी। कमेटी की रिपोर्ट सौपे जाने के बाद भी अब तक शासकीयकरण नहीं किया गया है। विधानसभा में शासकीय करण को लेकर प्रस्ताव पास नहीं होने से प्रदेश भर के पंचायत सचिव नाराज हैं। उनका कहना है कि बजट में उनके लिए कुछ भी प्रस्ताव नहीं रखा गया। जाहिर है सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है।ऐसे में उनके पास हड़ताल के अलावे और कोई चारा नहीं बचता है।