मनोज सोनी, प्रशासकीय अनुमति और जमानत खारिज

मनोज सोनी, प्रशासकीय अनुमति और जमानत खारिज

February 19, 2025 0 By Ajeet Yadav

छत्तीसगढ़। मार्कफेड के पूर्व एम डी मनोज सोनी की जमानत याचिका न्यायालय ने खारिज कर दिया। मनोज सोनी के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया था कि जांच एजेंसी ने मनोज सोनी को गिरफ्तार करने के बाद उनके नियुक्ति कर्ता एजेंसी से प्रशासकीय अनुमति नहीं लिया है।

न्यायालय ने मनोज सोनी के अधिवक्ता के पैरवी को नहीं माना और एक सरकारी कर्मचारी द्वारा पद का दुरुपयोग कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को गंभीर मानते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया। जो लोग सरकारी कामकाज को बेहतर नहीं समझते उन्हें अधिवक्ताओं की पैरवी तर्क पूर्ण लगती है लेकिन जिस न्यायालय में प्रकरण चलता है उस न्यायालय के न्यायधीश को सब पता होता है।

मनोज सोनी 140करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के आरोपी है मार्कफेड में 20रुपए क्विंटल की जिला प्रबंधकों से वसूली किए बगैर राइस मिलर्स को पेमेंट नहीं करते थे। जिस प्रकार शराब घोटाले में हर जिले के आबकारी अधिकारी का हाथ फंसा हुआ है वैसे ही मार्कफेड के कमीशन घोटाले में हर जिले का जिला प्रबंधक फंसा हुआ है। यही वह एजेंसी थी जो राइस मिलर्स से 20 रूपये क्विंटल वसूली कर मिल वालो की पर्ची मनोज सोनी को निर्धारित दिन में दिया करते थे।मनोज सोनी, रोशन चंद्राकर के माध्यम से अनिल टुटेजा, राम गोपाल अग्रवाल को वसूल किए गए राशि में से पंद्रह प्रतिशत काट कर ईमानदार बेईमान बने हुए थे।

अब बात आती है प्रशासकीय अनुमति की, इसे भी समझ लेना जरूरी है।किसी भी शासकीय कर्मचारी को गिरफ्तार करने के लिए प्रशासकीय अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है। आम आरोपियों की तरह उसे 24घंटे के भीतर न्यायालय में पेश करना होता है। किसी सरकारी कर्मचारी का नियुक्तिकर्ता विभाग को गिरफ्तारी के समय ही सूचना दे दी जाती है।जिसके आधार पर प्रशासकीय अनुमति देने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। प्रक्रिया के आरम्भ होने की सूचना नियुक्तिकर्ता विभाग जांच एजेंसी को भेज देता है।

ऐसी स्थिति में नियुक्ति कर्ता विभाग अनुमति नहीं देने से न्यायालयीन प्रक्रिया बाधित नहीं होती है। देर सबेर विभाग को अनुमति देना ही होगा। मनोज सोनी, भारतीय संचार निगम के अधिकारी है।प्रतिनियुक्ति में पांच साल के लिए आए थे।जुगाड लगा कर दो बार की पांच पांच साल का टर्न बढ़वा लिए थे,शायद घोटाले के लिए ही यहां बैठे थे। उनका मूल विभाग प्रतिनियुक्ति खत्म होने के बाद ढेरों चिट्ठी लिख चुका था। रायपुर सेंट्रल जेल की कच्ची रोटी और पनियल दाल सब्जी खाना था, खा रहे है