सरगुजा संभाग में शिक्षकों के संलग्नीकरण पर लगा पूर्ण विराम — 10 जून तक प्रमाण पत्र नहीं देने वालों पर गिरेगी गाज

सरगुजा संभाग में शिक्षकों के संलग्नीकरण पर लगा पूर्ण विराम — 10 जून तक प्रमाण पत्र नहीं देने वालों पर गिरेगी गाज

June 7, 2025 0 By Ajeet Yadav

अम्बिकापुर। सरगुजा संभाग में वर्षों से चल रही संलग्नीकरण की व्यवस्था पर अब प्रशासन ने निर्णायक प्रहार किया है। संभागीय संयुक्त संचालक, शिक्षा, सरगुजा द्वारा एक सख्त और प्रभावी आदेश जारी करते हुए सभी सहायक शिक्षक, शिक्षक एवं व्याख्याताओं का तत्काल प्रभाव से संलग्नीकरण समाप्त करने के निर्देश दिये गए हैं। यह आदेश न केवल शिक्षकों के प्रशासनिक फेरबदल को प्रभावित करेगा, बल्कि पूरे संभाग की शिक्षा व्यवस्था को संतुलन की ओर ले जाने वाला कदम माना जा रहा है।


छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग आदेश

स्थानांतरण नीति 2025 बनी आधार
यह कठोर निर्देश छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति वर्ष 2025 के अनुपालन में जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख है कि जिला स्तर पर संलग्न समस्त कर्मचारियों का संलग्नीकरण समाप्त किया जाना अनिवार्य है। इसका सीधा मतलब यह है कि कोई भी शिक्षक या शासकीय कर्मचारी अब अपने मूल पदस्थापना स्थल से इतर किसी अन्य संस्था में संलग्न नहीं रहेगा।

संलग्नीकरण की स्थिति का अंतिम दिन 5 जून तय
संयुक्त संचालक ने आदेश में स्पष्ट किया है कि 05 जून 2025 की स्थिति में संलग्न सभी शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजा जाए और कोई भी कर्मचारी 6 जून के बाद संलग्न अवस्था में नहीं रहना चाहिए। इस आदेश की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध सीधी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

जवाबदेही अधिकारियों की होगी
शिक्षकों की संलग्नीकरण की स्थिति पर नियंत्रण और इसके पूर्ण समापन की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO), विकासखंड शिक्षा अधिकारियों (BEO), और संस्था प्रमुखों को दी गई है। आदेश में साफ कहा गया है कि यदि 5 जून के बाद कोई भी शिक्षक संलग्न पाया गया, तो उसकी जवाबदेही संबंधित अधिकारी की होगी, और उन पर कठोर प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश अब तक के सबसे कड़े शिक्षकीय प्रशासनिक निर्णयों में से एक माना जा रहा है।

शिक्षकों का संलग्नीकरण खत्म

10 जून तक देना होगा प्रमाण पत्र
संयुक्त संचालक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि संलग्नीकरण समाप्ति की स्थिति का प्रमाण पत्र 10 जून 2025 तक संभागीय कार्यालय में अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें। जो भी अधिकारी या जिला इस समय-सीमा का पालन नहीं करेगा, उसके विरुद्ध भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त होगा। कई सालों से जारी था ‘संलग्नीकरण का खेल’
शिक्षकों का एक ही स्थान पर वर्षों तक संलग्न रहना, न सिर्फ शिक्षा के अधिकार अधिनियम की भावना के खिलाफ है, बल्कि इससे स्कूलों में शिक्षक असंतुलन, पढ़ाई की गुणवत्ता में गिरावट, और प्रशासनिक अनियमितताएं जन्म लेती हैं। सूत्रों के अनुसार, कई शिक्षक प्रभावशाली संबंधों या स्थानीय दबावों के चलते मनचाही जगहों पर वर्षों से टिके हुए थे। ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी इसी वजह से बनी हुई थी।

क्या होगा अब?
इस आदेश से ऐसे तमाम शिक्षक जो वर्षों से अपने मूल विद्यालय से दूर, सुविधाजनक स्कूलों में संलग्न थे, उन्हें अब वापस जाना होगा। इससे जहां दुर्गम अंचलों में शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी, वहीं संसाधनों का संतुलन भी स्थापित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस आदेश को सख्ती से लागू किया गया, तो सरगुजा संभाग की शिक्षा गुणवत्ता में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

प्रशासनिक सख्ती की मिसाल
यह आदेश केवल संलग्नीकरण समाप्ति नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। शिक्षकों के मामलों में अब “समझौते” और “मौन स्वीकृति” की जगह नहीं बचेगी। आदेश की प्रति राज्य शिक्षा सचिव, लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर और आयुक्त, सरगुजा संभाग को भी भेज दी गई है, जिससे इस निर्णय की व्यापकता और गंभीरता और भी स्पष्ट हो जाती है।

निष्कर्ष:
सरगुजा संभाग में शिक्षक संलग्नीकरण पर रोक सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली में वर्षों से चली आ रही अनियमितताओं, भेदभाव और व्यवस्था विरोधी प्रवृत्तियों पर सीधा प्रहार है। अगर यह निर्णय सख्ती से लागू हुआ, तो यह छत्तीसगढ़ भर में एक मॉडल बन सकता है और अन्य संभागों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।