
मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की मुलाकात: बोधघाट सिंचाई परियोजना व इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना पर हुई चर्चा, PM मोदी से मिला ठोस आश्वासन
June 7, 2025
नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के विकास को नई दिशा देने वाले दो बड़े सिंचाई और जल परियोजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना और इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना पर विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने इन दोनों योजनाओं को बस्तर की तकदीर बदलने वाला कदम बताया और इनके शीघ्र स्वीकृति की मांग की।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि बस्तर लंबे समय तक नक्सलवाद से प्रभावित रहा, जिससे क्षेत्र के समुचित विकास, विशेषकर सिंचाई अवसंरचना, पर ध्यान नहीं दिया जा सका। आज भी बस्तर के 8.15 लाख हेक्टेयर बोये गए क्षेत्र में से केवल 1.36 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है।
उन्होंने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि बोधघाट परियोजना और इंद्रावती-महानदी जल इंटरलिंकिंग परियोजना न केवल कृषि उत्पादन में भारी वृद्धि करेंगी, बल्कि रोजगार सृजन के नए अवसर भी प्रदान करेंगी। ये दोनों परियोजनाएं बस्तर को सक्षम, आत्मनिर्भर और विकासशील क्षेत्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी।
बोधघाट परियोजना – बस्तर की नई जीवनरेखा
लगभग 49,000 करोड़ रुपये की लागत वाली बोधघाट परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों के 269 गांव सीधे लाभान्वित होंगे।
3.78 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी
125 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा
49 मी.घ.मी. पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित होगी
4824 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन से ग्रामीणों को वैकल्पिक आजीविका मिलेगी
इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग – जल शक्ति का चमत्कार
इस परियोजना के तहत इंद्रावती नदी से 100 टीएमसी (2830 मी.घ.मी.) जल को महानदी कछार में स्थानांतरित किया जाएगा। इससे
कांकेर सहित अन्य जिलों में 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी
कुल मिलाकर दोनों परियोजनाओं से लगभग 7 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इन दोनों परियोजनाओं को “राष्ट्रीय परियोजना” के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि इसे केंद्र सरकार की पूरी आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके।
दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 49000 करोड़ है। प्रस्तावित बोधघाट सिंचाई परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांव लाभान्वित होंगे, इससे खरीफ और रबी सीजन में 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी, परियोजना से 125 मेगावाट बिजली उत्पादित होगी। इससे 49 मि.घ.मी. पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित होगी और 4824 मीट्रिक टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन जैसे अतिरिक्त रोजगार का सृजन होगा
इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना द्वारा इंद्रावती नदी का लगभग 100 टी.एम.सी. ( 2830 मि.घ.मी.) जल महानदी कछार में स्थानांतरित करने की योजना है जिससे कांकेर जिले की भी 50,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सहित कुल 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
अर्थात् दोनों परियोजनाओं से लगभग 7 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना और इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में क्रियान्वित किया जाना प्रस्तावित है।
प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा
प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री की बात को गंभीरता से सुना और इन परियोजनाओं को बस्तर के सर्वांगीण विकास से जुड़ा हुआ अहम विषय मानते हुए इस पर शीघ्र निर्णय का भरोसा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा,
“बस्तर अब बदलाव की ओर है, और ये परियोजनाएं न केवल पानी देंगी, बल्कि बस्तरवासियों को आत्मनिर्भरता और समृद्धि का अवसर भी देंगी।“
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि बस्तर लंबे समय तक नक्सलवाद से प्रभावित रहा, जिससे क्षेत्र के समुचित विकास, विशेषकर सिंचाई अवसंरचना, पर ध्यान नहीं दिया जा सका। आज भी बस्तर के 8.15 लाख हेक्टेयर बोये गए क्षेत्र में से केवल 1.36 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है।
उन्होंने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि बोधघाट परियोजना और इंद्रावती-महानदी जल इंटरलिंकिंग परियोजना न केवल कृषि उत्पादन में भारी वृद्धि करेंगी, बल्कि रोजगार सृजन के नए अवसर भी प्रदान करेंगी। ये दोनों परियोजनाएं बस्तर को सक्षम, आत्मनिर्भर और विकासशील क्षेत्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी।
बोधघाट परियोजना – बस्तर की नई जीवनरेखा
लगभग 49,000 करोड़ रुपये की लागत वाली बोधघाट परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों के 269 गांव सीधे लाभान्वित होंगे।
3.78 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी
125 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा
49 मी.घ.मी. पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित होगी
4824 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन से ग्रामीणों को वैकल्पिक आजीविका मिलेगी
इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग – जल शक्ति का चमत्कार
इस परियोजना के तहत इंद्रावती नदी से 100 टीएमसी (2830 मी.घ.मी.) जल को महानदी कछार में स्थानांतरित किया जाएगा। इससे
कांकेर सहित अन्य जिलों में 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी
कुल मिलाकर दोनों परियोजनाओं से लगभग 7 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इन दोनों परियोजनाओं को “राष्ट्रीय परियोजना” के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि इसे केंद्र सरकार की पूरी आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके।
दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 49000 करोड़ है। प्रस्तावित बोधघाट सिंचाई परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांव लाभान्वित होंगे, इससे खरीफ और रबी सीजन में 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी, परियोजना से 125 मेगावाट बिजली उत्पादित होगी। इससे 49 मि.घ.मी. पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित होगी और 4824 मीट्रिक टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन जैसे अतिरिक्त रोजगार का सृजन होगा
इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना द्वारा इंद्रावती नदी का लगभग 100 टी.एम.सी. ( 2830 मि.घ.मी.) जल महानदी कछार में स्थानांतरित करने की योजना है जिससे कांकेर जिले की भी 50,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सहित कुल 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
अर्थात् दोनों परियोजनाओं से लगभग 7 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना और इंद्रावती- महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना के रूप में क्रियान्वित किया जाना प्रस्तावित है।
प्रधानमंत्री ने दिया भरोसा
प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री की बात को गंभीरता से सुना और इन परियोजनाओं को बस्तर के सर्वांगीण विकास से जुड़ा हुआ अहम विषय मानते हुए इस पर शीघ्र निर्णय का भरोसा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा,
“बस्तर अब बदलाव की ओर है, और ये परियोजनाएं न केवल पानी देंगी, बल्कि बस्तरवासियों को आत्मनिर्भरता और समृद्धि का अवसर भी देंगी।“